गीत
यदि हम राम आगमन पर भी कोई कविता नहीं लिख सके,
तो क्या हम को पाप लगेगा ?
यूँ तो हम ने जाने कितनी बार पढ़ी मानस चौपाई
जाने कितनी बार सियावर राम चंद्र की जय जय गाई
हनूमान का रुप समझकर बंदर को गुड़धानी बाँटी
भली भाँति की क्षमा याचना जब भी डाल हरेरी काटी।
लेकिन इस देखा देखी में छत पर झंडा नहीं रख सके।
तो क्या हम को पाप लगेगा ?
मन में गाया पर जुलूस में जै श्री राम नहीं चिल्लाया
राम आयेंगे, राम आयेंगे जैसा गीत नहीं दोहराया
हमने डी पी, रिंगटोन में धुन, तस्वीर नहीं चिपकाई
और अभी तक स्टेटस पर, भी तस्वीर नहीं लग पाई।
मिले हुए हैं भक्ति भाव से एजेंडे से नहीं मिल सके।
तो क्या हम को पाप लगेगा ?
हम ने की कोशिश लिख डालें मुक्तक, गीत छंद जैसा कुछ
जब न हुआ तो सोचा लिख लें छुटपुट ग़ज़ल नज़्म जैसा कुछ।
ये भी न हो सका तो सोचा प्रचलित सी तुकबंदी कर लें।
डालें कोई रील, वीडियो, मौके को किस तरह लपक लें।
फिर भी पावनतम अवसर पर, यदि प्रासंगिक नहीं रह सके
तो क्या हम को पाप लगेगा ?
©शिवा अवस्थी