गीत
मुस्कराते हुए, गुनगुनाते हुए,
दिन यूं ही बीत जाए, कुछ गाते हुए।
हो कोई तो सपना, पराया या अपना,
उसमें खोते हुए, यूं ही सोते हुए,
रात फिर बीत जाए, नींद आते हुए।
मुस्कराते हुए, गुनगुनाते हुए…….।।
दिन गुजरता रहे, रात ढलती रहे,
सुबह होती रहे, शाम चलती रहे,
जिंदगी बीत जाए, गीत गाते हुए,
मुस्कराते हुए, गुनगुनाते हुए…….।।
रचनाकार : कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- २०.१०.२०१५.