Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

सब कुछ मिले संभव नहीं

समेटो जितना भी,कोई हिस्सा छूट जाता है
यादों के सफ़र में, कोई क़िस्सा छूट जाता है

बड़ी हसरतों से, ये घर बनाये जाते हैं
बसते बसाते, कोई कौना छूट जाता है

बहुत ही जतन से, बीज गहरे गाड़े थे
आँसू बरसे तो,कोई कल्ला फूट जाता है

एक मुकम्मल ज़िंदगी की कोशिश में
ख़ुद ही नहीं बचता, आंखें मूँद जाता है

इन सुनसान इमारतों की,एक सी ही दास्ताँ है
बच्चे खेले, विदा हुए, बस सन्नाटा छूट जाता है

डा राजीव “सागरी”

31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*छह माह (बाल कविता)*
*छह माह (बाल कविता)*
Ravi Prakash
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
किस दौड़ का हिस्सा बनाना चाहते हो।
Sanjay ' शून्य'
कविता -दो जून
कविता -दो जून
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सिर्फ दरवाजे पे शुभ लाभ,
सिर्फ दरवाजे पे शुभ लाभ,
नेताम आर सी
चन्दा लिए हुए नहीं,
चन्दा लिए हुए नहीं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
Dr Archana Gupta
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
ये दुनिया भी हमें क्या ख़ूब जानती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इस पेट की ज़रूरते
इस पेट की ज़रूरते
Dr fauzia Naseem shad
नफ़रत सहना भी आसान हैं.....⁠♡
नफ़रत सहना भी आसान हैं.....⁠♡
ओसमणी साहू 'ओश'
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
बहुत दिनों के बाद दिल को फिर सुकून मिला।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"पहचान"
Dr. Kishan tandon kranti
माटी में है मां की ममता
माटी में है मां की ममता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
जागो जागो तुम,अपने अधिकारों के लिए
gurudeenverma198
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
चुरा लेना खुबसूरत लम्हें उम्र से,
Ranjeet kumar patre
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
Kaushal Kishor Bhatt
"राष्टपिता महात्मा गांधी"
Pushpraj Anant
खेल सारा सोच का है, हार हो या जीत हो।
खेल सारा सोच का है, हार हो या जीत हो।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
ईर्ष्या, द्वेष और तृष्णा
ईर्ष्या, द्वेष और तृष्णा
ओंकार मिश्र
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🌹लफ्ज़ों का खेल🌹
🌹लफ्ज़ों का खेल🌹
Dr Shweta sood
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय प्रभात*
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
Anil Mishra Prahari
खूब रोता मन
खूब रोता मन
Dr. Sunita Singh
दुःख हरणी
दुःख हरणी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
माँ
माँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
द्वारिका गमन
द्वारिका गमन
Rekha Drolia
वायरल होने का मतलब है सब जगह आप के ही चर्चे बिखरे पड़े हो।जो
वायरल होने का मतलब है सब जगह आप के ही चर्चे बिखरे पड़े हो।जो
Rj Anand Prajapati
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
2441.पूर्णिका
2441.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...