गीत- बिछा पलकें नदी सरयू…
बिछा पलकें नदी सरयू निहारे राम आएँगे।
बनी दुल्हन अवध नगरी पुकारे राम आएँगे।।
सियापति राम मर्यादा सिखाते हैं ज़माने को।
निभा रिश्ते गले हँसकर लगाते हैं ज़माने को।
सभी प्यारे सभी के बन सहारे राम आएँगे।
बनी दुल्हन अवध नगरी पुकारे राम आएँगे।।
दया करुणा ले सच्चाई निभाए धर्म अपने सब।
पराए मर्म समझे पर छिपाए मर्म अपने सब।
हँसी देने कमल बन फिर हमारे राम आएँगे।
बनी दुल्हन अवध नगरी पुकारे राम आएँगे।।
चुने तोड़े बहुत जोड़े हृदय से बेर शबरी ने।
चखे पहले न हों खट्टे सभी थे बेर शबरी ने।
इन्हें खाने लिए आशा कि द्वारे राम आएँगे।
बनी दुल्हन अवध नगरी पुकारे राम आएँगे।।
आर. एस. ‘प्रीतम’