#गीत – बरसात का मौसम
बादल ने लेकर अँगड़ाई , बारिश ऐसी बरसाई।
तन भीगा है मन में हलचल , याद तुम्हारी हो आई।।
मेरा भी हाल हुआ ऐसा , जैसा है यार तुम्हारा।
दौड़ी आओ घड़ी मिलन की , दिल ने है तुम्हें पुकारा।।
शीतल पवनें छेड़ें तन को , मन करती हैं दीवाना।
हम तुम सनम सुनायें रुत को , अपना प्रेम-तराना।।
मेरी बाहें तुम्हें बुलाएँ , नज़रें भी करें इशारा।
मस्त फिज़ाएँ शोख़ अदाएँ , लूटें हैं हृदय सँवारा।।
मेरा भी हाल हुआ ऐसा , जैसा है यार तुम्हारा।
दौड़ी आओ घड़ी मिलन की , दिल ने है तुम्हें पुकारा।।
आँखों की गुस्ताखियाँ कहें , बेचैनी तेरे दिल की।
जुल्फ़ों की बदमासियाँ कहें , मनमानी तेरे दिल की।
मदहोशी का ये आलम है , बेकाबू दिल बेचारा।
आज शरारत करने भी दो , कहता हर खिला नज़ारा।।
मेरा भी हाल हुआ ऐसा , जैसा है यार तुम्हारा।
दौड़ी आओ घड़ी मिलन की , दिल ने है तुम्हें पुकारा।।
#आर.एस.’प्रीतम’
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