गीत- जिसे ख़ुद से हुआ हो प्रेम…
गीत- जिसे ख़ुद से हुआ हो प्रेम…
जिसे ख़ुद से हुआ हो प्रेम छोड़े हर बुराई को।
मुहब्बत में जगह मिलती नहीं है बद रुखाई को।।
सजाए रोज तन-मन-धन विचारों से रहे पावन।
करे हरपल वही सुंदर बनाए ज़िंदगी नूतन।
हमेशा दूर रखता है भला सज्जन तन्हाई को।
मुहब्बत में जगह मिलती नहीं है बद रुखाई को।।
बुरी हर लत जिसे अच्छी कभी लगती नहीं इक पल।
नशा ज़ारी या चुगली में कभी होता नहीं शामिल।
लिए हसरत चले चोरों लुटेरों की सफ़ाई को।
मुहब्बत में जगह मिलती नहीं है बद रुखाई को।।
ग़रीबों पर हँसी भूले करे लाचार की सेवा।
शरीफ़ों को यहाँ मिलता समझ ले जो यहाँ मेवा।
तवाज़ो जो बड़ों को दे चला रब की क़माई को।
मुहब्बत में जगह मिलती नहीं है बद रुखाई को।।
आर. एस. ‘प्रीतम’