* गीत कोई *
** नवगीत **
~~
गीत कोई
गुनगुनाता जा रहा है
पर्वतों की चोटियों में
और गहरी घाटियों में
बह रही शीतल हवा को
कौन महकाता रहा है
खिल रहे सुन्दर गुलों में
गाँव पनघट की डगर में
पंछियों और तितलियों को
कौन बहलाता रहा है
खेत में खलिहान में
नगर जनपद गाँव में
बढ़ रहे इन्सान के सैलाब को
कौन सरसाता रहा है
~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य