गीत ……अब योग थोडा कर ले —-
****** अब योग थोडा कर ले ******
मन रोग से घीरा है
तन रोग से घीरा है
अब योग थोडा कर ले
क्यूं भोग से घीरा है ————
जीवन का लम्हा – लम्हा
है कीमती संभालो
थक क्यूं रहे हो इतना
खुद को खुद ही संभालो
गिर के उठा है जो भी
खुशीयों से वो घीरा है ……….. अब योग थोडा …..
धुंआ ही धुंआ है
देखो तो हर तरफ ही
सांसे भी घुट रहीं है
है मौत हर तरफ ही
योगा बनाले जीवन
आलस से क्यूं घीरा है …………..अब योग थोडा ……
भस्त्रिका दो मिनट कर
अनुलोम चाहे जितना
कर ले कपाल भाति
हर रोग फिर है भगना
कुछ ध्यान लगा खुद में
क्यूं इधर .. उधर घीरा है ……….अब योग थोडा …….
फैलाओ खूब योगा
तब ही भगेगा रोगा
“सागर” कदम बढाओ
कल्याण तब ही होगा
है सार ये जीवन का
गुरूओं की ये धरा है ………………
अब योग थोडा कर ले
क्यूं भोग से घीरा है ……………!!
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बैखोफ शायर/गीतकार/लेखक
डाँ. नरेश कुमार “सागर”
9897907490