गीतिका
गीतिका मात्रा 16,14
बैठी हूँ ये आस लिए
नयन सरोवर कमल खिले दो, मौसम का अहसास लिए
यादों की पंखुड़ियां फैली, मन में इक विश्वास लिए
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दिल की धड़कन में बसते हो,झंकृत होती ज्यों वीणा
बारबार छू जाते मन को, एक मधुर स्वर खास लिए
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भीगी अलकें टूटे मोती, प्रतिछाया से पास लगे
छू गई है पवन दीवानी श्वासों की महकास लिए
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भ्रमर बसंती बनकर आओ,फूलों पर यौवन छाया
स्वागत में ऋतु मधुरस घोले,आ जाओ मधुमास लिए
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महुआ,जूही,मोगरा महके, कोकिल मधुर पुकार करे
दरवाजे पर दस्तक दोगे, बैठी हूँ ये आस लिए
शारदा मदरा