गीतिका : प्रभु की चाहत से यह चंदन जैसा मन हो जायेगा ( पोस्ट २०)
गीतिका :: प्रभु की चाहत से यह चंदन जैसा मन हो जायेगा
प्रभु की चाहत से यह चंदन जैसा मन हो जायेगा
जितना चाहो उतना खर्चो ऐसा धन हो जायेगा
मत घबरा काले बादल से, भूरे अब आने वाले
जल बरसा देंगे तुम पर वे , तन सावन हो जायेगा
तुममें ही हैं देव – असुर सब , अब तक विष ही पाया है
पा जाओगे अमृत भी तुम जब मंथन हो जायेगा
श्रद्धा के माथे पर रोली , निष्ठा धरने वाली है
नयन – कलश के प्रेम – सलिल से अभिनंदन हो जायेगा
सत्य- अहिंसा , कमल समर्पण की आधार शिला रख दे
संकल्पों से निर्मित मंदिर मन- भावन हो जायेगा ।।
—– जितेंद्र कमल आनंद