“” *गीता पढ़ें, पढ़ाएं और जीवन में लाएं* “”
“” गीता पढ़ें, पढ़ाएं और जीवन में लाएं “”
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( 1 )” गीता “, गीता है जीवन का सार
आओ, इसका नित्य पाठ करें !
तन मन में बसा लें प्रभु ध्यान …,
मन से सदा संकीर्तन करें !!
( 2 )” पढ़ें “, पढ़ें गीता के नित्य श्लोक
भावों को मन में अपने उतारें !
करें ना जीवन में दुःख शोक…..,
हर पल प्रभु छवि ही निहारें !!
( 3 )” पढ़ाएं “, पढ़ाएं उसे जो मन लगाए
रखे जो धर्म शास्त्रों में निष्ठा !
जीवन में लाए बदलाव गीता …,
बढ़ाएं प्रभु में प्रीत आस्था !!
( 4 )” और “, और की चाह मन में ना धरें
है जो उसी में आनंदित रहें !
अपना नहीं है यहां पे कुछ भी….,
फ़िर जीवन से मोह हम क्यों करें !!
( 5 )” जीवन “, जीवन है जब तक इस धरा पे
मोह माया का बंधन बना रहेगा !
इससे हो यदि पार पाना…..,
तो ‘ गीता ‘, से हमको जुड़ना पड़ेगा !!
( 6 )” में “, मेंड ज्ञान की बना इर्द-गिर्द
स्वयं को भ्रम से हम बचाएं !
सदा रहते कर्मों के प्रति सतर्क….,
इस भव सागर से पार हम हो जाएं !!
( 7 )” लाएं “, लाएं स्वयं से स्वयं में बदलाव
समझें जीवन का सत सार !
रखें जीवन में सम्यक भाव……,
जीवन में उतारें गीता सार !!
( 8 )” गीता पढ़ें, सबको पढ़ाएं
जीवन में लाएं हम बदलाव !
जुड़के गीता परिवार संग …..,
जीवन में फैलाएं सदभाव !!
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सुनीलानंद
बुधवार,
08 मई , 2024
जयपुर,
राजस्थान |