गिला शिकवा रहने भी दो …
बहुत देर लगा दी ऐ दोस्त!
तुमने मेरे जज़्बात समझने में ।
अब तो जिंदगी की शाम होने जा रही है ,
काश ! तुमने कुछ तो कह दिया होता अंजाने में।
खैर छोड़ो ! अब यह गिला शिकवा ,
अब उम्र ही बाकी न रही कह सुनाने में।
बहुत देर लगा दी ऐ दोस्त!
तुमने मेरे जज़्बात समझने में ।
अब तो जिंदगी की शाम होने जा रही है ,
काश ! तुमने कुछ तो कह दिया होता अंजाने में।
खैर छोड़ो ! अब यह गिला शिकवा ,
अब उम्र ही बाकी न रही कह सुनाने में।