गिरधर से लागा मेरा मन
गिरधर से लागा मेरा मन
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कान्हा से जो लागा मेरा मन,
में तो हो गई बहुत मगन ।
बन गई मैं कान्हा की जोगन,
मन में लागी ऐसी लगन ।
तुमको ही अर्पण मेरा जीवन,
अब कुछ भी नहीं तुमरे बिन।
पूजा कंरू में सांझ सबेरे ,
पथ में निहारूं रात दिन।
मेरा संसार भी तू,साज भी तू कान्हा,
मुरली मनोहर, मेरे गिरधर आओ
मेरे द्वारे।
मुझ विरहन की पीड़ा हर लो,
आकर प्रीतम प्यारे ।
मेरी हर धड़कन में तू कान्हा ,
तेरे नाम की माला जपती
कण-कण में तू ही नजर आता कान्हा।
तुम्हरे चरणों की जो में रज पाती,
जीवन अपना में सफल कर पाती।
मुझ जोगन को दे दो सहारा,
मुझको मिल जायेगा किनारा।
दर-दर भटकूं मिलने की आस लिए,
दर्शन दे दो आकर मुझको,
अंखियां तरसे दरश लिए!!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,