गिरगिट
भगवान ने तो केवल जानवर,
बनाया था गिरगिट नाम का ।
जो जैसी जगह बैठता था वैसा ,
ही रंग बदल लेता था अपनी खाल का।
पर भगवान न जानता था कि ये,
इन्सान ही बन जाएगा,
इस प्रकार का जानवर।
जो”पल में सोला पल में मासा” दिखाएगा बनकर।
गिरगिट तो अपनी जान बचाने के,
लिए रंग बदलने को मजबूर है।
पर ये इन्सान महज़ अपने मतबल,
को पूरा करने के लिए आतुर है।
गिरगिट तो केवल इंद धनुष के,
सात रंग ही बदल सकता है।
पर आज का इन्सान इतना गिरा हुआ है,
हजारों रंग एक पल में दिखा सकता है।