गाय, बछड़ा और गौभक्त / musafir baitha
भक्तो!
गायों ने, गाय के किसी प्रतिनिधि ने
तुम्हारे समीप जाकर
तेरे कानों में फुसफुसा कर भी
कभी दावा किया क्या
कि मैं तेरी मां हूं
जो हल्ला, होहल्ला करके तुम
बिन किसी के पूछे–आछे
गाय को मां बताते फिरते हो
बताओ तो–
क्या तुम ख़ुद को उसके बछड़ों का
भाई बहन बता सकने की हिम्मत रख सकते हो?
गाय के भर्ता सांढ़ों को
अपना सौतेला बाप बता पाओगे?
कोई सयाना हो चुका बछड़ा
क्या अपनी मां का दूध पीता है
तुम तो जवानी और बुढ़ापे में
बछड़ों के हिस्से का दूध
उसकी मां का दूध थन से छीन–निचोड़ पी जाते हो
ऐ दुष्ट, निर्लज्ज भ–गवा मनुष्य!
खुद को गौ भक्त और गाय को माय
किस मुंह से कहते हो?