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5 Jun 2024 · 1 min read

गांव जीवन का मूल आधार

गांव बदल रहा है शहर हो रहा है
आदमी बदल रहा है तो जहर हो रहा है ।
लोग संग रहने के मन नहीं बनाते
वह घर तो बनाते पर आंगन नहीं बनाते ।
गांव बदल रहा है शहर हो रहा है
पेड़ कट रहे हैं छांव कम हो रहा है
तालाब सूख रहे हैं खेत बंजर हो रहा है
गांव में सामूहिकता कम लोगों में उजाड़ बस रहा है
एक के उन्नति से एक दूसरे में बैर बढ़ रहा है
मुझे दुख है कि मेरा गांव बदल रहा है

विवेक शर्मा विशा 🥇
इलाहाबाद विश्वविद्यालय 🎓

Language: Hindi
10 Likes · 4 Comments · 191 Views

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