गाँव
इन शहरों से तो ,
ये गाँव ही अच्छे हैं।
बोली चाहे हो खड़ी,
पर दिल उनके सच्चे हैं।
गांव में मिलता हैं,
मिलनसार का भाव।
शहरों में तो है,
इनका बिलकुल ही अभाव।
गाँव के लोग अपने,
वचन के पक्के होते हैं।
शहरों में तो अब ,
वचन भी खोखले होते हैं।
रिश्तों को अहम् भी,
गाँव में माना जाता हैं।
शहरों में तो बस ,
पैसा ही जाना जाता हैं।
शहरों में तो वाक्य बदल गए,
लिखा हैं ‘कुत्तों से सावधान’।
गाँव में अब भी मिलता हैं,
‘ अतिथि देवो भवः’ को सम्मान।
मिट्टी की सोंधी खूशबू ,
गाँव में पाई जाती हैं।
शहरों में तो बस ,
इत्र की खुशबू आती हैं।
अगर किसी को चोट लगे तो,
शहरी उफ़ कहकर जाता हैं,
मदद के लिए ग्रामीण ही हाथ बढ़ता हैं।
शहर में हो गया इंडिया,
पर गाँव में भारत ही कहलाता हैं।