ग़ज़ल
चाँद कहता है कि आईना तेरा भी क्या कहना छुपा देता है तू तमाम दाग चेहरों के हसरत के हुस्न कि हस्ती बना देता मेरे जैसा!!
आईना कहता है दुनियाँ का क्या करूँ हर कोई देखाता मुझमें चेहरा अपना, किसी के हुस्न के गुरुर का चेहरा किसी का दौलत के जुनून का चेहरा!!
कोई लाख बनाए चेहरा अपना लाख छुपाए खामोश जज्बे के चिलमन चेहरा अपना मेरे खामोश बायां असली नकली चेहरा!!
किसी के आँखो के सबनम जैसे घात के आंसू, किसी कि जख्म जहरीली मुस्कान किसी का मुस्कुराता खुद के गम में भी चेहरा औरों के गम पे मुस्कुरता किसी का चेहरा!!
कोई लाख बनाए चेहरा अपना लाख छुपाए खामोश जज्बे के चिलमन चेहरा अपना मेरा खामोश बाय असली नकली चेहरा!!
जवां जोश का दुनिया कि उम्मीद का चेहरा, जिन्दगी कि मुश्किल से घबराया चेहरा,जिन्दगी के सफर कि शाम के ईमान का चेहरा मैं जिंदगी के हर मुकाम का गवाह आईना!!इश्क मोहब्बत कि जीनत दिवानों कि नज़रों के आईने का चेहरा, मैं आईना हर चेहरे में छुपे तमाम जज्बात का चेहरा!!
मैं नादा नाज़ुक कमसीन बचपन कि शरारत माँ बाप के अरमां के जमीं आसमान का आईना सूरज चाँद का चेहरा!!
आईना कहता है मैं दिल शीशे कि तरह नाज़ुक हवा के साँसों कि गर्मी से पिघल जाता साँसों धड़कन निगाहों कि बेरुखी से टूट कर लाख टुकड़ाे में बिखर जाता मैं आईना!!
लाख टुकड़े आईने के एक ही चेहरे का हर बिखरे टुकड़े में जज्बात का जुदा जुदा चेहरे का आईना!!
कहता आईना दुनियाँ के हर चेहरे का चश्मा चश्मदीद हर कोई मुझमे देखता मुझमे चेहरा अपना कोई भी मेरा हो न सका अपना!!
N L M TRIPATHI (पीताम्बर)