ग़ज़ल
मनुज की तो नहीं पद की क़दर करता ज़माना है
हुनर जिसमें भरा उसपर सदा मरता ज़माना है/1
कटेंगे लोग तुमसे तब जताया जोश देखेंगे
नयी हर सोच से पहले सुनो जलता ज़माना है/2
करे ख़िदमत करे रहमत हमेशा साथ दे उसका
लड़े जो वक़्त से उससे ये क्यों लड़ता ज़माना है/3
हमारे जूझ का अंज़ाम सुंदर और प्यारा हो
कहे ऐसा हमारे साथ तब जानें ज़माना है/4
हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
हक़ीक़त में कहेंगे तब बड़ा हमसे ज़माना है/5
यहाँ हारे हुए जो लोग करते हैं शिक़ायत ये
हमारा वो ज़माना था तुम्हारा ये ज़माना है/6
किसी का ख़ून ‘प्रीतम’ अब बहुत छोटी अदावत है
न देखा ही सुना हो ज़ख़्म वो देता ज़माना है/7
#आर.एस. ‘प्रीतम’