ग़ज़ल
लगाया दिल तुझी से है मिली नज़रें हज़ारों से
किसी को चाँद मिल जाए तो हसरत क्या सितारों से/1
मिरी बातें तुझे अच्छी लगे हैं आजकल सारी
हँसी तेरी सदा चाहूँ मुहब्बत के इशारों से/2
बिना तेरे ज़िग़र सूना रहे दिल भी निराशा में
चमन जैसे उजड़ जाए बिना मिलके बहारों से/3
मिली थी अज़नबी बनकर मगर अब जान हो मेरी
नहीं भाए मुझे दुनिया बिना तेरे नज़ारों से/4
तुझे चाहूँ तुझे सुनता रहूँ पलपल नफ़ासत से
रखेगी दूर उल्फ़त ये शिकायत की दरारों से/5
तेरी सूरत लगी अच्छी सदा खींचती मुझको
रहे जल दूर कैसे तू बता दरिया किनारों से/6
मिरे ‘प्रीतम’ तुम्हीं दिल की यहाँ बस्ती खिलाए हो
खिला करते यहाँ दिल ज्यों नमन करके मिनारों से/7
आर.एस.’प्रीतम’