ग़ज़ल
इश्क मैं छटपटाने से क्या फायदा।
बाद यूं तिलमिलाने से क्या फायदा।
लिख ले अरकान तू फाइलुन फाइलुन
बे-बहर गुनगुनाने से क्या फायदा।
चुग गई खेत सारा तेरी गलतियां
बाद चिड़िया उड़ाने से क्या फायदा।
जानती माँ है सब वो ही रब औ ख़ुदा
बात उससे छुपाने से क्या फायदा।
बैर बसका नहीं है निभाना तिरे
ओखली सिर घुसाने से क्या फायदा।
रोकती थी तुम्हें माँ सयानी
तेरी
आज आँसू बहाने से क्या फायदा।
काम आए अगर मुफलिसों के नहीं
फिर करोड़ों कमाने से क्या फायदा।
रास आई मुहब्बत किसी को कहाँ
बोल दिल को लगाने से क्या फायदा।
जो रहा ही नहीं आपका जां नशीं
उसको दिल में बसाने से क्या फायदा।
आँख ‘नीलम’ तुम्हारी करें सब बयां
राज दिल में दबाने से क्या फायदा।
नीलम शर्मा ✍️