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19 May 2024 · 1 min read

मनुष्य और प्रकृति

मेरा किरदार समझने के लिए,
खुद का सुख चैन गंवाना होगा।
अपना सर्वस्व निछावर करके,
खुशी से गालियां खाना होगा।।

खुशी से दे सको अपने वस्त्र,
और परसी सामने की थाली भी।
आयेंगे भवरें उपवन सुगंध वास्ते,
तुम्ही मिट्टी बीज पौधा और माली भी।

इच्छा कर यदि त्याग करोगे,
तो मुझे समझना मुश्किल होगा।
जंगल, नदियां, पर्वत समुद्र का,
कर्ज चुकाना मुश्किल होगा।।

प्रकृति को अपनी प्रकृति बनाना,
अगर समझ में आ जायेगा।
तो मैं दावे से कह सकता,
“संजय” किरदार समझ में आ जायेगा।।

Language: Hindi
1 Like · 24 Views
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