ग़ज़ल
सुनाओ प्यार की सरग़म हमें भी चैन आ जाए
खिला ग़ुल चूमकर जैसे हवाओ में नशा छाए/1
हवाएँ ज़ुल्फ़ सहलाकर जगाती नींद से जैसे
तुम्हारा दिल मिरे दिल को कभी ऐसे तो सहलाए/2
किसी का दर्द समझे जो वही इंसान होता है
कहूँ शैतान उसको जो किसी को चोट पहुँचाए/3
तुम्हारा ज़ीस्त हो ऐसा मिसालों में बयां हो जो
हँसी की बात पर जैसे कमल की याद हो आए/4
बलाएँ हार जाती हैं अगर साहस लिए चलते
नदारद शूल जैसे फूल कोई जब भी मुस्काए/5
मिटाओ भेद मन का तुम मिटाओ प्यार मत प्यारे
मुहब्बत से बग़ावत हार कर यार शरमाए/6
मेरा ‘प्रीतम’ हँसाता दिल चुराता ग़म हँसाकर हर
अदा ऐसी दुवा मेरी हमेशा ही तुझे भाए/7
आर. एस. ‘प्रीतम’