Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2022 · 3 min read

कच्चा-हाउस 【बाल कहानी】

कच्चा-हाउस 【बाल कहानी】
■■■■■■■■■■■■■■■■■
बंद मोहल्ले में पतली गलियाँ थीं। सैकड़ों साल पुराना मोहल्ले का ढाँचा था । पुराने तरह के मकान बने हुए थे। रास्ता बस इतना था कि रिक्शा मजे से आ जाती थी । जब से कार का चलन हुआ ,वह बड़ी मुश्किल से मोहल्ले के अंदर आ पाती थी । आने के बाद फिर और कुछ निकलने के लिए जगह नहीं बचती थी ।
वैसे तो मोहल्ले में पच्चीस-तीस घर होंगे। सभी घरों में एक-दो बच्चे जरूर हैं। लेकिन उनका आपस में मिलना सिवाय गली से निकलते समय हाय-हेलो करके हो जाने के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। एक दूसरे के घरों में जाकर बैठने का रिवाज कम ही था । खेलने के लिए जगह भला अब किसके घर में बची थी ? पुराने समय के बड़े-बड़े आँगन अब लिंटर पड़ने के बाद छोटे-छोटे कमरों में बदल चुके थे ।
इसी बीच एक घटना हुई । एक सज्जन मोहल्ला छोड़कर महानगर में शिफ्ट हो गए । उनका मकान गिराऊ हालत में था। वह जिसको बेच कर गए ,उसने तुड़वा कर बनवाने का विचार बनाया । लेकिन मकान टूटने के बाद जब मलवा उठा तो उसके बाद न जाने क्या परिस्थितियाँ आ गईं कि आगे का काम रुक गया । वह जगह पूरे मोहल्ले में एकमात्र खाली मैदान बनकर बच्चों को उपलब्ध हो गयी । उसी का नामकरण बच्चों ने “कच्चा-हाउस” कर दिया ।
कच्चे-हाउस में अब रोजाना सुबह से देर रात तक बैडमिंटन और क्रिकेट खेला जाने लगा । जिस समय भी कच्चे-हाउस के पास चले जाओ ,दस-बारह बच्चे खेलते हुए नजर आ जाएँगे । बच्चों में एक दूसरे से आत्मीयता बढ़ने लगी । रोजाना मुलाकात से उनमें अंतरंगता उत्पन्न हो गई । चार तरह की बातें भी बच्चे आपस में करने लगे । बस यूँ कहिए कि कच्चे-हाउस के कारण महफिल जुड़ने का एक बहाना मिल गया । दोस्ती पक्की होने लगी । पहले शायद ही कभी कोई बच्चा किसी दूसरे बच्चे से बात करता हो ,लेकिन अब तो सब एक दूसरे के गले में बाहें डाल कर कच्चे-हाउस के आसपास घूमते नजर आने लगे ।
बच्चों में बैडमिंटन और क्रिकेट का शौक शुरू हुआ ,तो हर घर में रैकेट खरीदा जाने लगा । मोहल्ले की स्त्रियाँ जिनको कभी किसी ने बैडमिंटन खेलते नहीं देखा था ,वह अब नियमित रूप से बैडमिंटन का अभ्यास करने लगीं। यूँ समझिए कि कच्चा-हाउस महिलाओं की “किटी-पार्टी” का भी केंद्र बन गया । सारी गपशप इसी कच्चे-हाउस में आकर होती थी ।
अकस्मात एक दिन खुशी के इस मौसम में एक व्यवधान आ गया । कुछ लोग बाहर से कच्चे-हाउस का निरीक्षण करने आए थे । उनकी बातचीत से पता चला कि वह कच्चा-हाउस खरीदने में रुचि ले रहे हैं। बच्चों ने उनकी बात सुन ली थी और उसके बाद से पूरे मोहल्ले में एक उदासी छाई हुई थी। सब बच्चे यह सोच कर परेशान थे कि अगर कच्चा-हाउस बिक गया और यहाँ पर नए खरीदार ने अपना भवन बना लिया तो फिर यह जो खेल और दोस्ती का केंद्र पहली बार मोहल्ले को नसीब हुआ है ,वह हाथ से निकल जाएगा ।
बच्चों की उदासी देखकर उनके घरों के बड़े लोग भी चिंतित हो उठे । बच्चों के मम्मी-पापा विशेष रूप से इस बारे में चर्चा करने लगे । सब को लग रहा था कि सचमुच कच्चे-हाउस ने मोहल्ले में जो सक्रिय उत्साह उत्पन्न किया है ,वह कहीं समाप्त न हो जाए !
फिर क्या था ,सब बच्चों के मम्मी-पापा एक जगह बैठे और सबने एक निर्णय लिया। उसके बाद सारे मम्मी-पापा मिलकर कच्चे-हाउस के मालिक के पास गए । बातचीत की और लौटकर साथ में मिठाई का डिब्बा लेकर मोहल्ले में प्रविष्ट हुए ।
बच्चों ने पूछा “पापा ! क्या समाचार लाए हैं ,जो मिठाई का डिब्बा भी हाथ में है ?”
सब बच्चों के पापा ने सामूहिक स्वर में कहा “हमने कच्चा-हाउस मोहल्ले के बच्चों के लिए खरीद लिया है । अब यहाँ पर पार्क बनेगा और उसकी देखभाल सब परिवारों की एक सोसाइटी बनाकर की जाएगी ।”
सुनते ही बच्चे खुशी से झूम उठे । कच्चे-हाउस में उस दिन खूब जमकर होली खेली गई । नृत्य हुए तथा तबले-बाजे और ढोलक के स्वर देर रात तक गूँजते रहे ।
—————————————————
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

113 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
इश्क में डूबी हुई इक जवानी चाहिए
सौरभ पाण्डेय
हम चाहते हैं कि सबसे संवाद हो ,सबको करीब से हम जान सकें !
हम चाहते हैं कि सबसे संवाद हो ,सबको करीब से हम जान सकें !
DrLakshman Jha Parimal
साथ
साथ
Dr fauzia Naseem shad
Wait ( Intezaar)a precious moment of life:
Wait ( Intezaar)a precious moment of life:
पूर्वार्थ
23/61.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/61.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आंख बंद करके जिसको देखना आ गया,
आंख बंद करके जिसको देखना आ गया,
Ashwini Jha
टाईम पास .....लघुकथा
टाईम पास .....लघुकथा
sushil sarna
अस्मिता
अस्मिता
Shyam Sundar Subramanian
नदियों का एहसान
नदियों का एहसान
RAKESH RAKESH
प्यार में ना जाने क्या-क्या होता है ?
प्यार में ना जाने क्या-क्या होता है ?
Buddha Prakash
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
सुनो ये मौहब्बत हुई जब से तुमसे ।
Phool gufran
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
Dr. Narendra Valmiki
मोबाइल (बाल कविता)
मोबाइल (बाल कविता)
Ravi Prakash
बड़े अगर कोई बात कहें तो उसे
बड़े अगर कोई बात कहें तो उसे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
■ यक़ीन मानिए...
■ यक़ीन मानिए...
*Author प्रणय प्रभात*
सपने
सपने
Santosh Shrivastava
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
शहीदे आजम भगत सिंह की जीवन यात्रा
Ravi Yadav
**विकास**
**विकास**
Awadhesh Kumar Singh
*
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
विक्रमादित्य के बत्तीस गुण
Vijay Nagar
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
I.N.D.I.A
I.N.D.I.A
Sanjay ' शून्य'
महाकाल का संदेश
महाकाल का संदेश
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
सोचना नहीं कि तुमको भूल गया मैं
gurudeenverma198
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
💐प्रेम कौतुक-557💐
💐प्रेम कौतुक-557💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
डर-डर से जिंदगी यूं ही खत्म हो जाएगी एक दिन,
डर-डर से जिंदगी यूं ही खत्म हो जाएगी एक दिन,
manjula chauhan
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
The thing which is there is not wanted
The thing which is there is not wanted
कवि दीपक बवेजा
जीवन एक संघर्ष
जीवन एक संघर्ष
AMRESH KUMAR VERMA
Loading...