ग़ज़ल
बड़े अच्छे बड़े प्यारे तुम्हारे काम देखे हैं
सुने चर्चे छपे पर्चे तुम्हारे आम देखे हैं/1
सभी का साथ देते हो दिखाते पर नहीं देखा
मसीहा हो क़सम से तुम रचे सरनाम देखे हैं/2
बड़ी फ़ितरत बड़ी शोहरत बड़ी उल्फ़त बड़ी हसरत
छिपी तुझमें सुहानी है दिले-लत राम देखे हैं/3
मुहब्बत हो गई इतनी लुटा दूँ जान भी तुमपर
तेरी हर सुब्ह सजाई हँस खिलाई शाम देखे हैं/4
बहुत सोचा बदल जाऊँ तुझे देखा बदल पाया
सफल होते बदलकर नित रुहानी दाम देखे हैं/5
हुनर खिलता तग़ाफ़ुल में हुनर है ये हुनर का भी
हसीं हैं जो नहीं छिपते लगे इल्जाम देखे हैं/6
भटक जाना चटक जाना लटक जाना मगर हँसना
ज़ुदा काँटों में यहाँ खिलते गुले-गुलफ़ाम देखे हैं/7
#आर सर्वाधिकार सुरक्षित ग़ज़ल
#दोहा ग़ज़लकार आर.एस. ‘प्रीतम’