ग़ज़ल
देशभक्तों से न बच पाएगा एंटी-नेशनल
जब कभी भी हाथ में आएगा एंटी-नेशनल
अन्धश्रद्धा का ये कैसा दौर है इस देश में
जो करेगा प्रश्न कहलाएगा एंटी-नेशनल
बँट रहे हैं चैनलों पर राष्ट्रवादी के ख़िताब
ये जिसे चाहेंगे बन जाएगा एंटी-नेशनल
इक मुहिम सी चल रही है शोर है चारों तरफ
छोड़ कर इस देश को जाएगा एंटी-नेशनल
‘नूर’ उसकी बात को कुछ ऐसे उलझाएँगे लोग
मुँह भी खोलेगा तो घबराएगा एंटी-नेशनल
✍️ जितेन्द्र कुमार ‘नूर’