ग़ज़ल
ग़ज़ल-रुला देते हैं
इस तरह लोग मोहब्बत में दगा देते हैं।
दिल को तड़पाते है और रुला देते हैं।।
वोट की खातिर गधों को भी मना लेते हैं।
जीत के बाद ही जनता को भुला देते हैं।।
वो तो हैवां हैं जो इंसां की मदद करते नहीं।
लोग ज़ख्मों पे नमक कैसे लगा देते हैं।।
न जायें मंदिर-मस्ज़िद न इबादत कोई।
वक़्त पड़ने पर ही ईश्वर को सदा देते हैं।।
जो कभी खास थे वो यार ही ‘राना’ मेरे।
मुफ़लिसी के आते ही वो हाथ उठा देते हैं।।
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक-“आकांक्षा” हिंदी पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-71 पेज-79 से साभार