ग़ज़ल
बहुत उलझी हुई है जिंदगी अब।
उपर से साथ में है शाइरी अब।
मैं कितने रोज तक रोया करूंगा
चलो न छोड़ते हैं आशिक़ी अब।
दीवाना मर न जाए सामने ही
सुनो ना छोड़ दो ये बे-दिली अब।
ये दुनिया के लिए त्यौहार होगा
मुझे भाती नहीं है फ़रवरी अब।
किसी पे मर के भी अब क्या मिलेगा
सुनो हम कर रहे हैं खुदखुशी अब।
तो तुम आनन्द को ठुकरा रही हो
सितारा खो रही हो कीमती अब।