ग़ज़ल
तंग हूं मैं तेरे दुनिया के चक्कर से
नीचे के चपरासी ऊपर के अफ़सर से
क़ौम की क़िस्मत तो ख़ुदा ही जानें
किसे फुर्सत आफिस से दफ़्तर से
गांव बड़ा अज़ीज़ है हमें गांव वालों
खुशहाली मांगती हूं शामों सहर से
शीशे का दिल है” नूरी “इंसानों का
बचकर रहना ज़माने के पत्थर से
नूरफातिमा खातून” नूरी”
३०/३/२०२०