ग़ज़ल 20
तय है सबका आना जाना दुनिया में रुक पाए कौन
ख़ुद को ख़ुदा समझते हैं जो उनको यह समझाए कौन
प्यार तुम्हारा दौड़ रहा है साथ लहू के रग रग में
दिल में है तस्वीर बसी, दिल चीर मगर दिखलाए कौन
उम्र फ़ना हो जाती है शोहरत और इज़्ज़त पाने में
थोड़े से लालच की ख़ातिर नादिर चीज़ गँवाए कौन
कहीं पे वहशत, कहीं पे नफ़रत, कहीं तबाही का मंज़र
दहशत के माहौल में बोलो प्यार के नग़्मे गाए कौन
गलती कोई करता है और सज़ा किसी को मिलती है
क़ानून की आंखों से लेकिन पट्टी ‘शिखा’ हटाए कौन