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10 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल 19

सोकर है जब उठता चाँद
अर्श पे तब है उगता चाँद

दुल्हन की बिंदिया जैसा
अम्बर पे है सजता चाँद

छोटे छोटे बच्चों को
उनका मामा लगता चाँद

इश्क़ में पागल आशिक़ को
माशूका सा दिखता चाँद

जो दो दिन से भूखा है
उसको रोटी लगता चाँद

शब हो जाती है तारीक
बादल में जब छुपता चाँद

तन्हाई में हिज़्र की शब
साथ ‘शिखा’ के जगता चाँद

Language: Hindi
203 Views
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