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22 Jul 2021 · 1 min read

ग़ज़ल -वोटों की खातिर

ग़ज़ल- वोटों के ख़ातिर-

वोटों के ख़ातिर ही तो दंगे कराये हैं।
ये वो मसीहा है जिन्होंने घर जलाये हैं।।

इनका कोई ईमान है, न कोई धर्म है।
जनता को कैसे ये तो उल्लू बनाये हैं।।

भूकों मरे ग़रीब तो परवाह नहीं इन्हें।
वो अपनी प्यास को मगर रम से बुझाये हैं।।

नेताओं उर पुलिस की तो ज़ात एक सी।
जनता को ये तो खूब ही चूना लगाये हैं।।

मासूमियत पे इनकी न जाना कभी ‘राना’
सच में ये गुनहगार है जो सर झुकाये।।
****
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com

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