ग़ज़ल : …. दिल पे मेरे गिराके बिजलियाँ !
ग़ज़ल: दिनेश एल० “जैहिंद”
एक बुत से हम तो टकराए बहुत ।
दिन में तारे देख चकराए बहुत ।।
दिल की मेरे बात समझे ही नहीं,,
प्यार में उसने यूँ तरसाए बहुत ।।
हाथ जोड़े हमने औ की मिन्नतें,,
वो नहीं माने तो घबराए बहुत ।।
दिल पे मेरे वो गिराके बिजलियाँ,,
बेबसी में उसने तड़पाए बहुत ।।
किस सितमगर से लगी दिल की लगी,,
दिल लगाकर हम तो पछताए बहुत ।।
लौट आए हम तो प्यासे चोट खा,,
यार-दोस्तों बीच शरमाए बहुत ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
24. 01. 2018