ग़ज़ल–तेरे मेरे इश्क़ की
ग़ज़ल
तेरे मेरे इश्क़ की कुछ सुर्ख़ियाँ हैं आज भी ।
आशिक़ी में दर्दोंगम की आंधियाँ हैं आज भी ।
ज़िंदगी में उम्र की कुछ सख़्तियाँ हैं आज भी ।
दर्द है पर दर्द में भी मस्तियाँ हैं आज भी ।
खामखां कुछ लोग मुझको कह रहे हैं बेकुसूर,
इश्क़ के मद्देनजर कुछ ख़ामियाँ हैं आज भी ।
फूल से चेहरे पे बेशक वक्त ने ढाया कहर,
रूह में वो कश्मकश शरगोशियाँ हैं आज भी ।
बेजुबा इस दिल को टूटे एक अर्सा हो गया ,
है रुआंसी आँख दिल में सिसकियाँ हैं आज भी ।
तुम बिना ये गाँव –गलियां हो गईं सूनी मगर,
दिल के तहखानों में तेरी चिट्ठियाँ हैं आज भी ।
इश्क़ में रकमिश तुम्हें तो प्यार का दरिया मिला,
मेरे हिस्से में बची तन्हाइयाँ हैं आज भी ।
– रकमिश सुल्तानपुरी