ग़ज़ल : ( कोई अच्छी सी ग़ज़ल लिखूॅं )
ग़ज़ल : ( कोई अच्छी सी ग़ज़ल लिखूॅं )
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
मन करता है कि कोई अच्छी सी ग़ज़ल लिखूॅं ।
फिर सोचता हूॅं कि आज लिखूॅं या कल लिखूॅं ।।
सिर्फ़ सोचने भर से कभी कुछ नहीं हो जाता ।
ईंट-ईंट जोड़कर एक सुंदर ख़ास महल लिखूॅं ।।
काव्य की ये विधा मुझे पसंद है इतनी ज़्यादा ।
कि रुकूं नहीं, चलते चलते हर इक पल लिखूॅं ।।
बेचैन मन से ग़ज़ल लिखना आसां नहीं होता ।
बिना किसी घबराहट के संभल-संभल लिखूॅं ।।
सिर्फ़ संभल जाने से ‘अजित’ भाव नहीं आ जाते।
भावनाओं के बहते प्रवाह को बदल-बदल लिखूॅं।।
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 27-08-2021.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????