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16 Sep 2021 · 1 min read

*ग़ज़ल-कुछ खोया कुछ पाया है*

ग़ज़ल-कुछ खोया कुछ पाया है

सुख पाने को दुःख को गले लगाया।
जीवन भर कुछ खोया तो कुछ पाया है।।

इसीलिए रास आती नहीं खुशी हम को।
क़िस्मत पर अपनी ग़म का साया है।।

वाह! री क़िस्मत इस दुनिया के अंदर हम।
जिसको कहते थे अपना वो आज पराया है।।

पाकर उसको खोया मैंने तो मालूम हुआ।
सच्चाई तो एक है बस दुनिया झूट की माया है।।

‘राना जी उन पर अब विश्वास करे वो कैसे।
हर पग फर उनसे हमने धोखा खाया है।।
***

© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”, टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-42,पेज-50 से साभार

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