ग़ज़ल :– करे जज्बात की खिदमत वही इंसान होता है !!
ग़ज़ल :– करे जज्बात की खिदमत वही इंसान होता है !!
कोई धनवान होता तो कोई गुणवान होता है !
करे जज्बात की खिदमत वही इंसान होता है !!
भले इंसानियत का कद ज़रा छोटा हुआ फ़िर भी !
डगर मुश्किल भरी होती नहीं वीरान होता है !!
बने नासूर जब नाते नहीं निभते निभाने से !
दगा देता कोई , अपना कहीं कुर्बान होता है !!
शराफत से लबालब हो जहाँ भी प्यार के दामन !
ये उलझन भरा जीवन बड़ा आसान होता है !!
अपने पराये में “अनुज” ये भेद कम कर दे !
करे ईमान की कीमत वही भगवान होता है !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”