Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2021 · 1 min read

गहरा राज़

ना जाने कैसा होता होगा वो जहां,
खो जाते हैं इंसान कैसे जाकर वहां ।

ना राह का पता न मंजिल का ठिकाना ,
आखिर अंजाने सफर का मुकाम है कहां ?

अपनो से सारे बंधन तोड़के ,मुंह मोड़के ,
ना जाने कहां बसा लेते हैं नया आशियां ।

ना खत ना पैगाम का सिलसिला रहता है,
आखिर कैसे करें अपना हाल ए दिल बयां।

रह रह कर दिल में कसक उठती है हमारे ,
नजरें तलाशती है जब कभी उनके निशान ।

आहिस्ता आहिस्ता वक्त भर ही ,देगा जख्म ,
बस इतनी सी तो है हमारी इंतजार ए इंतेहा ।

ये कजा अपने आप में एक गहरा राज़ है कोई ,
नहीं जान सकता “ए अनु” इसे कोई इंसान ।

4 Likes · 6 Comments · 431 Views
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

बड़े ही फक्र से बनाया है
बड़े ही फक्र से बनाया है
VINOD CHAUHAN
ज्वालामुखी बुझता नहीं ....
ज्वालामुखी बुझता नहीं ....
TAMANNA BILASPURI
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तेरी दहलीज़ पर जब कदम पड़े मेरे,
तेरी दहलीज़ पर जब कदम पड़े मेरे,
Phool gufran
सत्यपथ
सत्यपथ
डॉ. शिव लहरी
हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है.
हाथों से कुछ कुछ रिसक रहा है.
डॉ. दीपक बवेजा
We Would Be Connected Actually.
We Would Be Connected Actually.
Manisha Manjari
"गुरु की कसौटी"
Dr. Kishan tandon kranti
देवघर यानी वैद्यनाथजी
देवघर यानी वैद्यनाथजी
श्रीहर्ष आचार्य
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
........
........
शेखर सिंह
गुरूर  ना  करो  ऐ  साहिब
गुरूर ना करो ऐ साहिब
Neelofar Khan
दिवाली फिर है आई
दिवाली फिर है आई
Paras Nath Jha
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
Neelam Sharma
Shayari
Shayari
Sahil Ahmad
श्रद्धा
श्रद्धा
OM PRAKASH MEENA
आह और वाह
आह और वाह
ओनिका सेतिया 'अनु '
सपना सलोना सा प्यारा खिलौना सा
सपना सलोना सा प्यारा खिलौना सा
Kanchan Gupta
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
लिये मनुज अवतार प्रकट हुये हरि जेलों में।
कार्तिक नितिन शर्मा
बीमार घर/ (नवगीत)
बीमार घर/ (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
Neeraj Agarwal
अगर मैं कहूँ
अगर मैं कहूँ
Shweta Soni
ठोकरें खाये हैं जितना
ठोकरें खाये हैं जितना
Mahesh Tiwari 'Ayan'
Don't break a bird's wings and then tell it to fly.
Don't break a bird's wings and then tell it to fly.
पूर्वार्थ
सुप्रभात
सुप्रभात
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
सुबह का मंजर
सुबह का मंजर
Chitra Bisht
2772. *पूर्णिका*
2772. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अयोध्या का राम मंदिर
अयोध्या का राम मंदिर
Dr Archana Gupta
आत्महत्या के पहले
आत्महत्या के पहले
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
Loading...