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21 May 2024 · 1 min read

गहराई जिंदगी की

ज़िंदगी खेल नहीं है,
जितना सरल दिखती है,
उतनी ही कठिन,
प्रतीत होती है।

हर वक़्त दिखता,
जो गहरा समंदर है,
कभी उलझो तो,
कहानी का फेर है ये।

भीड़ में ख़ुद को,
तलाशती आवाज़ है ये,
सुकून के पल को खोजती,
नीरव वृतांत है ये।

ये शमां कभी साहिल का,
परवाना बन जाता है,
कभी ओझल स्वरूप,
का अफ़साना बन जाता है।
कोई दूर होकर भी,
अपना बनता है।
कोई नज़दीकियों से,
किनारा करता है।

कोई पारिवारिक संबंधों,
के स्वर में एकजुट बनता है,
हर समय अलग किरदार में,
एक नए किरदार का।

दिलचस्प हिस्सा क्यों,
बनती है ये ज़िंदगी।
सच है ये ज़िंदगी खेल नहीं,
जिसका किसी से
कोई मेल नहीं।

Language: Hindi
34 Views
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