Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

गहराई जिंदगी की

ज़िंदगी खेल नहीं है,
जितना सरल दिखती है,
उतनी ही कठिन,
प्रतीत होती है।

हर वक़्त दिखता,
जो गहरा समंदर है,
कभी उलझो तो,
कहानी का फेर है ये।

भीड़ में ख़ुद को,
तलाशती आवाज़ है ये,
सुकून के पल को खोजती,
नीरव वृतांत है ये।

ये शमां कभी साहिल का,
परवाना बन जाता है,
कभी ओझल स्वरूप,
का अफ़साना बन जाता है।
कोई दूर होकर भी,
अपना बनता है।
कोई नज़दीकियों से,
किनारा करता है।

कोई पारिवारिक संबंधों,
के स्वर में एकजुट बनता है,
हर समय अलग किरदार में,
एक नए किरदार का।

दिलचस्प हिस्सा क्यों,
बनती है ये ज़िंदगी।
सच है ये ज़िंदगी खेल नहीं,
जिसका किसी से
कोई मेल नहीं।

Language: Hindi
43 Views

You may also like these posts

तुम मेरा हाल
तुम मेरा हाल
Dr fauzia Naseem shad
नकारात्मक लोगों को छोड़ देना ही उचित है क्योंकि वे आपके जीवन
नकारात्मक लोगों को छोड़ देना ही उचित है क्योंकि वे आपके जीवन
Ranjeet kumar patre
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल 🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बच्चा और खिलौना
बच्चा और खिलौना
Shweta Soni
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,डरा रही है तन्हाई
आ जाओ अब कृष्ण कन्हाई,डरा रही है तन्हाई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दोनों हाथों की बुनाई
दोनों हाथों की बुनाई
Awadhesh Singh
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
* आत्म संतुष्टि *
* आत्म संतुष्टि *
Vaishaligoel
आंसू
आंसू
Kanchan Alok Malu
नजरिया
नजरिया
Shekhar Deshmukh
प्रेम सिर्फ आश्वासन नहीं देता बल्कि उन्हें पूर्णता भी देता ह
प्रेम सिर्फ आश्वासन नहीं देता बल्कि उन्हें पूर्णता भी देता ह
पूर्वार्थ
- जीवन की यह रेलगाड़ी -
- जीवन की यह रेलगाड़ी -
bharat gehlot
कावड़ मैं लाऊँगा- भजन -रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
कावड़ मैं लाऊँगा- भजन -रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
*कविवर शिव कुमार चंदन* *(कुंडलिया)*
*कविवर शिव कुमार चंदन* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"याद रहे"
Dr. Kishan tandon kranti
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
Harminder Kaur
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
फूलों सी मुस्कुराती हुई शान हो आपकी।
Phool gufran
यही जीवन है
यही जीवन है
Otteri Selvakumar
📍बस यूँ ही📍
📍बस यूँ ही📍
Dr Manju Saini
बिटिया विदा हो गई
बिटिया विदा हो गई
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
कृष्ण प्रेम की परिभाषा हैं, प्रेम जगत का सार कृष्ण हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं तो कवि हुँ
मैं तो कवि हुँ
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
“ख़्वाब देखे मैंने कई  सारे है
“ख़्वाब देखे मैंने कई सारे है
Neeraj kumar Soni
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
आज वो दौर है जब जिम करने वाला व्यक्ति महंगी कारें खरीद रहा ह
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
Rj Anand Prajapati
*छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे*
*छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे*
शशि कांत श्रीवास्तव
4525.*पूर्णिका*
4525.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
किसी के ख़्वाबों की मधुरता देखकर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गीत- किसी बरसात-सी मुझको...
गीत- किसी बरसात-सी मुझको...
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...