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22 Jan 2019 · 1 min read

गवाही

गवाही

शंबुक रीषि की
कटी गर्दन
एकलव्य का
कटा अंगूठा
टूटे व जीर्ण-शीर्ण
बौद्ध स्तूप
खंडित बुद्ध की प्रतिमाएं
धवस्त तक्षशिला व नालंदा
तहस-नहस
बौद्ध साहित्य
धूमिल बौद्ध इतिहास
दे रहा है गवाही
कितना असहिष्णु
कितना भयावह
था अतीत

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
2 Likes · 338 Views
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