*गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)*
गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा (गीत)
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गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा
1)
इनके पैने दॉंत क्रुद्ध मुख, सबको खूब डराते
घुसा गली में जो भी इनकी, उसको सदा हराते
दौड़ा-दौड़ा कर इन्होंने, सदा मनुज को मारा
2)
झुंडों में यह सदा विचरते, दादागिरी चलाते
जहॉं ॲंधेरा हुआ गली में, डाकू यह बन जाते
इनके गुर्राने-भर से ही, कॉंप रहा जग सारा
3)
इनका पुश्तैनी हक जानो, यह कब गली बदलते
इनके डर से गली-निवासी, कॉंप-कॉंप कर चलते
इनका गुस्सा देखा जिसने, आता नहीं दुबारा
4)
इनकी अपनी जागीरें हैं, अपने घर के राजा
नया अगर कुत्ता भी आए, बजता उसका बाजा
सदा भौंकते रहना इनका, जन्म जन्म का नारा
गली-गली में घूम रहे हैं, यह कुत्ते आवारा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451