गली अनजान हो लेकिन…
खज़ाना चाहने वाला खज़ाना ढूँढ लेता है
उदर के वास्ते पंछी भी दाना ढूँढ लेता है
जिसे लत है नशे में डूबकर मदहोश होने की
गली अनजान हो लेकिन ठिकाना ढूँढ लेता है
उसे मालूम है जल जाएगा आगोश में आकर
तबाही फिर भी इक पागल दीवाना ढूँढ लेता है
मुझे बेदाग़ कहते हो तुम्हारा शुक्रिया लेकिन
कमी सब में ही अक्सर ये ज़माना ढूँढ लेता है
मुसीबत में बुजुर्गों से भी जाकर मशवरा करना
किसी मुश्किल का हल अनुभव पुराना ढूँढ लेता है
हुई ‘आकाश’ मुद्दत वो अभी आया नहीं मिलने
बड़ा है हो गया जबसे बहाना ढूँढ लेता है
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 01/02/2023