गला रेत इंसान का,मार ठहाके हंसता है
ये कैंसा उन्माद, धार्मिक कट्टरता है
गला रेत कर एक इंसान का,मार ठहाके हंसता है
इंसानियत का खून बहा, जन्नत की चाहत रखता है
हर एक गैर मुस्लिम में,इसको काफ़िर दिखता है
गला रेत कर काफ़िर का,सबाव इन्हें मिलता है
ये कैंसी विकृत सोच,फैलाई इस्लाम के नाम पर
सारी दुनिया को डरा रहे, आतंकवाद के नाम पर
सारी दुनिया की गैर इस्लामिक संस्कृति धर्म पर,
हिंसा इनकी जारी है
गैर इस्लामिक देशों को, इस्लामिक राष्ट्र बनाने की तैयारी है
दुनिया बैठी है आंख मूंदकर,संकट मानवता पर आया है
विकृत और हिंसक सोच पर, क्यों लगाम नहीं कस पाया है
सारी दुनिया के राजनायिकों, राजनीति करने वालों
सारे धर्मों को मानने वालों, धर्म का मर्म समझने वालों
खतरनाक इस सोच को बदलो,संभल जाओ दुनिया वालों
सभी इस्लामिक विद्वान, आतंक को ग़लत बताते हैं
शांति और भाईचारे को, इस्लाम का अंग बताते हैं
फिर क्यों होती है हिंसा, इस्लाम धर्म के नाम पर
बंद कराओ मानव हत्याएं किसी भी धर्म के नाम पर
प्राथमिकता से सारी दुनिया में,वंदो अब ये बात उठाओ
सारी दुनिया और मानवता को, हिंसा और द़ेष से बचाओ
मानव मानव के बीच में,द़ेष और नफ़रत नहीं बढ़ाओ
सारे मिलकर रहो धरा पर,गीत अमन के गाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी