“गलत बात”
उसने सुना नहीं
ये गलत नहीं
तुमने पुकारा नहीं गलत बात है…
तुम हार गये
तो क्या हो गया
हार मानी तुमने
ये गलत बात है….
दर्द भरा आंखों में
तो क्या गलत हुआ
अश्क बहने न दिये
ये गलत बात है…
मंज़िलें न मिली
तो न ही सही
कदम बढ़ाया नहीं ये गलत बात है…
रंजिशें तो होती हैं
रिश्तों में अक्सर
तुमने निभाया नहीं ये गलत बात है….
कहना चाहे कुछ मन
ये जुर्म तो नहीं
बात मन में दबा ली गलत बात है….
उसने चाहा चले जाना
ये हक़ था उसका
तुमने रोका नहीं ये गलत बात है….
बात करते हो सबसे
वाह क्या बात है
खुद की सुनते नहीं ये गलत बात है….
रुलाया उसको बहुत
हुआ सो हुआ
तुमने आंसू न पोंछे गलत बात है….
बंदिशे भी लगाई
और सताया बेहद
तुमने “सहा” बहुत ये गलत बात है…
“इंदु रिंकी वर्मा”©