गलतियां
गलती इक शब्द ऐसा जो लाखों अच्छाइयां छुपा दे,
हमारे हर किए को कभी पाप तो कभी गुनाह का रूप दे दे,
थे जब छोटे हम तो हर गलती की माफी मिल जाती आसानी से,
हुए जब बड़े तो हर गलती की सजा पहले ही तय हो गई,
कुसूर होता इसमें चाहे जिसका भी एक गलती के होने में
पर सजा तो पूरे कौम पूरे घर को यूं ही बेवजह मिल रही,
करता कोई इक गद्दारी तो गुनाह पूरी कौम के सर आ जाता,
बेवजह हर गुनाह का दोष यूं ही किसी के सर आ जाता,
होता यह इक छोटा शब्द पर गुनाह बड़े बड़े कर जाता,
इसलिए हर गलती को यूं ही माफ नहीं किया जाता,
दूसरों की गलती से सीखने की आदत हम इस तरह भूल गए,
कुछ सही न करके गलतियां करके ही पूरी जिंदगी गुजार रहे