गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो,
जाओ उस गरीब की रसोई में।
जाकर देखो आखरी बार,
चूल्हा कब जला था।।
ध्यान से देखना उन जालो को ,
जो धूसर से हो गए हैं।
दीवारों पर धुएँ के साथ मिल गए है ,
ध्यान से देखना खाली डिब्बो को भी।।
जिन में कभी राशन हुआ करता था,
क्यों पड़े हैं खाली सोचो ?
दास्तान जिंदगी की ,
मुड़कर मत देखना सोचना विचारना।।
क्या यही है हकीकत जिंदगी की,
दो वक्त की रोटी का इंतजाम जरुर करना।
हवा में ही सही पेट जरूर भरना ,
इंसान का जिसे दो वक्त रोटी भी नसीब नहीं।।
सतपाल