Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

गरीबों की दीपावली

नन्हीं उंगलियों को थामकर ,
एक मां ने अपने बच्चे को पास बिठाकर।
दीपों की टोकरीओं को सामने रखकर,
ग्राहक आने की आस लगाकर।
बैठी है अनिश्चित होकर ,
क्योंकि बड़े-बड़े दुकानों में है भीड़ जमकर।
विदेशी -चाइनीज सामान खरीदकर ,
सभी निकल रहे हैं बाहर।
मिट्टी से बने उन दीपो को देखकर ,
एक आदमी कुछ देर रहा ठहरकर।
“बड़ी वाली कितने पैसे के हैं “? कहा अकड़कर ,
“सिर्फ इतने ही”!महिला बोली उंगलिया दिखाकर।
“अरे इतने ज्यादा”!!ग्राहक ने कहा तुनककर ,
चला गया फिर दूसरी दुकान ढूंढकर।
टोकरी खाली हुई सारा दिन ढलकर ,
महिला ने पैसों को लिया समेटकर ।
कुछ सोचने लगी तभी बच्चे ने कहा लिपटकर ,
मां क्या हम दिवाली मना पाएंगे इन पर ।
हां मनाएंगे हम मिठाई खरीदेंगे दुकान जाकर ,
उठ खड़े होकर दोनों जाने लगे अपने घर।
पास में बैठा वृद्ध भी है आस लगाकर ,
शायद उसका भी दीप बिके कुछ दिनों के अंदर।
वह भी अपने परिवार के लिए मिठाई खरीदकर ,
जाएगा फिर अपने घर पर।।
———-उत्तीर्णा धर

Language: Hindi
1 Like · 18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन संघर्ष
जीवन संघर्ष
Omee Bhargava
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
Rj Anand Prajapati
मन मेरे तू सावन सा बन....
मन मेरे तू सावन सा बन....
डॉ.सीमा अग्रवाल
रक्षा है उस मूल्य की,
रक्षा है उस मूल्य की,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
यह ज़मीं है सबका बसेरा
यह ज़मीं है सबका बसेरा
gurudeenverma198
अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार
नूरफातिमा खातून नूरी
तुम कहो कोई प्रेम कविता
तुम कहो कोई प्रेम कविता
Surinder blackpen
Little Things
Little Things
Dhriti Mishra
हम अपनी ज़ात में
हम अपनी ज़ात में
Dr fauzia Naseem shad
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
शीर्षक:-सुख तो बस हरजाई है।
Pratibha Pandey
सात जन्मों की शपथ
सात जन्मों की शपथ
Bodhisatva kastooriya
कृषक की उपज
कृषक की उपज
Praveen Sain
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
Neeraj Agarwal
मिट गई गर फितरत मेरी, जीवन को तरस जाओगे।
मिट गई गर फितरत मेरी, जीवन को तरस जाओगे।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सच्चाई का रास्ता
सच्चाई का रास्ता
Sunil Maheshwari
मैं कौन हूँ?मेरा कौन है ?सोच तो मेरे भाई.....
मैं कौन हूँ?मेरा कौन है ?सोच तो मेरे भाई.....
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
*नहीं जब धन हमारा है, तो ये अभिमान किसके हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभी को रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Lokesh Sharma
वृद्धों को मिलता नहीं,
वृद्धों को मिलता नहीं,
sushil sarna
*****सूरज न निकला*****
*****सूरज न निकला*****
Kavita Chouhan
फायदे का सौदा
फायदे का सौदा
ओनिका सेतिया 'अनु '
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
Sampada
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
3051.*पूर्णिका*
3051.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*सावन में अब की बार
*सावन में अब की बार
Poonam Matia
"प्रवास"
Dr. Kishan tandon kranti
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
हम भी जिंदगी भर उम्मीदों के साए में चलें,
manjula chauhan
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
Shweta Soni
Loading...