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15 Apr 2021 · 1 min read

गमों में हँसना मुझे आता है

******गमों में भी हँसना मुझे आता है****
***********************************

गम गर चाहे हो हजार हँसना मुझे आता है,
भारी भीड़ बीच बाजार चलना मुझे आता है।

चिंगारी भड़क कर धारती है रूप विकराल,
अंगारों भरी हो आग जलना मुझे आता है।

रंज सह कर जीना सीखा हमने दुनियाँ में,
दुखों की हो भरमार सहना मुझे आता है।

हर पल लड़ते आये हैं सच्चे झूठे किरदारों से,
रण में खड़े हों सरदार लड़ना मुझे आता है।

क्षण भर भी नहीं हम हैं सोये किसी भी पहर,
रातों को उठ उठ कर जगना मुझे आता है।

ठोकरें खा खा कर पैरों पर खड़े हुए हैं,
गिर गिर कर अक्सर संभलना मुझे आता है।

मनसीरत ने पीया है घाट घाट का पानी,
नाजायज मुकदमों पर झगड़ना मुझे आता है।
***********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
243 Views
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