Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2017 · 1 min read

गद्य था मैं तुम मिली तो पद्य आया

दुःख था इतना मृत्यु के मंजर दिखे
तुमको सोंचा जीने के फिर घर दिखे
जब उदासी घेर लेती है मुझे
मुझे बुलाते तब तुम्हारे कर दिखे

प्यार की बातें कभी जब होती हैं
तब तुम्हारी यादें दिल में होती हैं
जब कभी थोड़ा हताश हो जाता हूँ
तुम्हें करके याद फिर ताज़ा हो जाता हूँ

गद्य था मैं तुम मिली तो पद्य आया
साथ जो तुम चल पड़ी तो गीत गाया
तुमने जो अंकन किया तो रोम पुलकित हो गये
प्रणय का संगीत सुनकर,अधर फिर से गुनगुनाया

तुम जो आ जाती हो तो फिर क्या कहूँ
दीप भी बुझता नहीं,मेरी भला मैं क्या कहूँ
मैं क्या सोऊँ,नीद भी सोती नहीं
रात भी तुमको निहारे,सोये ना मैं क्या कहूँ

जिन्दगी से हारने के जब मुझे लक्षण दिखे
जीतने के आख़िरी तब शस्त्र केवल तुम दिखे
तुम जो आये साथ मेरे हृदय पुष्पित हो गया
सारे लक्षण जिन्दगी से जीतने के तब दिखे

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com

Language: Hindi
Tag: गीत
328 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अधूरा ही सही
अधूरा ही सही
Dr. Rajeev Jain
4619.*पूर्णिका*
4619.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भावुक हृदय
भावुक हृदय
Dr. Upasana Pandey
नश्वर तन को मानता,
नश्वर तन को मानता,
sushil sarna
ഒന്നോർത്താൽ
ഒന്നോർത്താൽ
Heera S
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
" हिम्मत "
Dr. Kishan tandon kranti
■ दोहा देव दीवाली का।
■ दोहा देव दीवाली का।
*प्रणय*
मंदिरों की पवित्रता
मंदिरों की पवित्रता
पूर्वार्थ
पिता
पिता
Swami Ganganiya
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
Rj Anand Prajapati
"होली है आई रे"
Rahul Singh
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
पूजा
पूजा
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं हिन्दुस्तानी !
मैं हिन्दुस्तानी !
Shyam Sundar Subramanian
प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप
Kanchan verma
कॉलेज वाला प्यार
कॉलेज वाला प्यार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
कैसे निभाऍं उसको, कैसे करें गुज़ारा।
सत्य कुमार प्रेमी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
मान तुम प्रतिमान तुम
मान तुम प्रतिमान तुम
Suryakant Dwivedi
Line.....!
Line.....!
Vicky Purohit
किसान
किसान
Dinesh Kumar Gangwar
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
उलझन से जुझनें की शक्ति रखें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
पृष्ठों पर बांँध से
पृष्ठों पर बांँध से
Neelam Sharma
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
Sunil Maheshwari
माँ लक्ष्मी
माँ लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
मैं एक आम आदमी हूं
मैं एक आम आदमी हूं
हिमांशु Kulshrestha
अरे वो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
अरे वो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा
Keshav kishor Kumar
Loading...