Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Dec 2021 · 1 min read

गज़ल

गज़ल

हाथ में इक खत पुराना आ गया।
याद फिर गुज़रा जमाना आ गया।।

सोचते ही सोचते हम सो गये।
स्वप्न में किस्सा पुराना आ गया।।

साथ जब से आपका हमको मिला।
दर्द में भी मुस्कुराना आ गया।।

जिन्दगी तो एक नाटक मात्र है।
पात्र बन इसको निभाना आ गया।।

आप आये तो लगा ऐसा हमें।
दौर शायद वो पुराना आ गया।

कुछ चुहल हमने करी कुछ आपने!
इस तरह हँसना हँसाना आ गया!!

प्यार फूलों से किया है इस कदर!
कंटकों से भी निभाना आ गया!!

मानसूनी बादलों की आड़ में!
कृष्ण अब आंसू छुपाना आ गया!!

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद

215 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे भगवान
मेरे भगवान
Dr.Priya Soni Khare
*अग्निवीर*
*अग्निवीर*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"भक्त नरहरि सोनार"
Pravesh Shinde
दोहा मुक्तक -*
दोहा मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जाने किस कातिल की नज़र में हूँ
जाने किस कातिल की नज़र में हूँ
Ravi Ghayal
कॉफ़ी की महक
कॉफ़ी की महक
shabina. Naaz
■ आप आए, बहार आई ■
■ आप आए, बहार आई ■
*Author प्रणय प्रभात*
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
Shubham Pandey (S P)
बेटियां
बेटियां
Mukesh Kumar Sonkar
लड़की
लड़की
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
प्रेम प्रणय मधुमास का पल
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दिमाग नहीं बस तकल्लुफ चाहिए
दिमाग नहीं बस तकल्लुफ चाहिए
Pankaj Sen
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गायें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
दूरियां ये जन्मों की, क्षण में पलकें मिटातीं है।
Manisha Manjari
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
*मुश्किल है इश्क़ का सफर*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*अध्याय 8*
*अध्याय 8*
Ravi Prakash
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
गुरु असीम ज्ञानों का दाता 🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अगर, आप सही है
अगर, आप सही है
Bhupendra Rawat
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
पंचचामर छंद एवं चामर छंद (विधान सउदाहरण )
Subhash Singhai
"तन्हाई"
Dr. Kishan tandon kranti
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
पिछले पन्ने 5
पिछले पन्ने 5
Paras Nath Jha
तू मुझे क्या समझेगा
तू मुझे क्या समझेगा
Arti Bhadauria
2661.*पूर्णिका*
2661.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
When you remember me, it means that you have carried somethi
When you remember me, it means that you have carried somethi
पूर्वार्थ
यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
यूँ तो समन्दर में कभी गोते लगाया करते थे हम
The_dk_poetry
क्रिकेट का पिच,
क्रिकेट का पिच,
Punam Pande
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
कितना बदल रहे हैं हम ?
कितना बदल रहे हैं हम ?
Dr fauzia Naseem shad
Loading...